जल संरक्षण पर निबंध | Water conservation Essay in Hindi

                           जल संरक्षण पर निबंध

 

जल संरक्षण पर निबंध निबंध (300 शब्द)

पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व को बरक़रार रखने के लिये जल का बचाव और संरक्षण बहुत जरूरी होता है क्योंकि जल के बिना जीवन सभव नहीं है। पूरे संसार में पृथ्वी पर जीवन चक्र को बनाये रखने में जल मदद करता है क्योंकि पृथ्वी अकेला ऐसा ग्रह है जहाँ पानी और जीवन मौजूद है। पानी की जरुरत हमें जीवन भर है इसलिये इसको बचाने के लिये केवल हम ही जिम्मेदार हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकार्डस् ब्यूरो के सर्वेक्षण के अनुसार, ये रिकार्ड किया गया है कि लगभग 16, 632 किसान (2, 369 महिलाएँ) आत्महत्या के द्वारा अपने जीवन को समाप्त कर चुकें हैं, हालांकि, 14.4% मामले सूखे के कारण घटित हुए हैं। इसलिये हम कह सकते हैं कि भारत और दूसरे विकासशील देशों में अशिक्षा, आत्महत्या, लड़ाई और दूसरे सामाजिक मुद्दों का कारण भी पानी की कमी है। पानी की कमी वाले ऐसे क्षेत्रों में, भविष्य पीढ़ी के बच्चे अपने मौलिक अधिकार व खुशहाली जीवन  जीने के अधिकार को प्राप्त नहीं कर पाते हैं।

जल संरक्षण पर निबंध

भारत के जिम्मेदार नागरिक होने के साथ साथ हम सभी प्रतिज्ञा ले और जल संरक्षण के लिये एक-साथ आगे आये। ये सही कहा गया है कि सभी लोगों का छोटी सी कोशिश एक बड़ा परिणामका रूप ले सकता है जिस प्रकार से बूंद-बूंद करके तालाब, नदी और सागर बन सकता है।

हमें केवल अपने प्रतिदिन की गतिविधियों में कुछ सकारात्मक बदलाव करने की जरुरत है जल संरक्षण के लिये हमें अतिरिक्त प्रयास करने की जरुरत नहीं है, लाखों लोगों का एक छोटा-सा प्रयास जल संरक्षण अभियान की ओर एक बड़ा सकारात्मक परिणाम दे सकता है। जैसे हर इस्तेमाल के बाद नल को ठीक से बंद करें, फव्वारे या पाईप के बजाय धोने या नहाने के लिये मग और बाल्टी का प्रयोग करें।

जल संरक्षण पर निबंध (500 शब्द)

जल संरक्षण:-

पृथ्वी पर सुरक्षित और पीने योग्य पानी बहुत कम बचा है प्रतिशत के आंकलन के द्वारा ज्ञात किया गया है, जल संरक्षण या जल बचाओ अभियान हम सभी के लिये बहुत जरूरी हो चुका है। औद्योगिक कचरे की वजह से रोजाना पानी के बड़े स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं। जल को बचाने में अधिक कार्यक्षमता लाने के लिये सभी औद्योगिक बिल्डिंगें, अपार्टमेंटस्, स्कूल, अस्पतालों आदि में बिल्डरों के द्वारा उचित जल प्रबंधन व्यवस्था को बढ़ावा देना चाहिये। पीने के पानी या साधारण पानी की कमी के द्वारा होने वाली संभावित समस्या के बारे में आम लोगों को जानने के लिये जागरुकता कार्यक्रम चलाया जाना चाहिये। जल की बर्बादी के बारे में लोगों के व्यवहार को मिटाने के लिये इसकी त्वरित जरुरत है।

जल संरक्षण के इस मुद्दे के समस्या और समाधान पर एकाग्र होना चाहिये। गाँव में लोगों के द्वारा बरसात के पानी को इकट्ठा करने की शुरुआत करनी चाहिये। रख-रखाव के साथ साथ छोटे या बड़े तालाबों को बनाने के द्वारा बरसात के पानी को बचाया जा सकता है। युवा छात्रो को अधिक जागरुकता की आवश्यकता है साथ ही विकासशील विश्व के बहुत से देशों में रहने वाले लोगों को जल की असुरक्षा और कमी प्रभावित कर रही है। आने वाले दशकों में ये परिस्थिति और भी खराब हो सकती है

जल बचाओ अभियान:-

लोगों के तहत इस अभियान को भी जल संग्रह करने के लिए शुरू किया गया है जिससे लोगों को यह ज्ञात कराया जा सके कि वह पानी की कितनी ज्यादा बर्बादी कर रहे हैं जो कि उनके खुद के भविष्य के लिए भी खतरा है। उनको जल बचाने के लिए प्रयास व उपाय करने चाहिए। अभियान में प्रतिवर्ष जलस्तर घटने के विषय में चर्चा की गई और बताया गया है कियह चिंता का विषयहै। हालांकि हम सब मिलकर इसे बचाने के लिए संघर्ष कर सकते हैं।

नारा-जल बचाओ, जीवन में खुशहाली लाओ

जल को कैसे बचायें:-

  • लोगों को चाहिए की वह अपने बाग या उद्यान में तभी पानी दे जब उन्हें जरुरत हो।
  • लोगों को चाहिए की बाग़ या उद्यान में पाइप से पानी देने के बजाय फुहारे से देना अधिक बेहतर होगा
  • पानी को बचाने के लिये सूखा अवरोधी पौधा लगाना अच्छा तरीका है।
  • पानी के रिसाव को बचाने के लिये पाइपलाइन और नलों के जोड़ ठीक से लगा होना चाहिए जो प्रतिदिन आपके लगभग 20 गैलन पानी को बचाता है।
  • वाहनों को धोने के लिये पाइप की जगह मग और बाल्टी का उपयोग करे जिससे सैकणों लीटर पानी बचाया जा सकता है।
  • हमें कपड़े व बर्तन धोने के लिए मशीनो का प्रयोग करें।
  • बरसात के पानी को जमा कर शौच, और आदि अस्वच्छता वाले कार्यों के प्रयोग में लाये जिससे स्वच्छ जल को पीने और भोजन पकाने के उद्देश्य के लिये बचाया जा सके।

जल संरक्षण पर निबंध (800 शब्द)

प्रस्तावना:-

जल ही जीवन है ऐसा कहा जाता है लेकिन यह बात शत प्रतिशत सत्य है वैसे तो पृथ्वी का 71 प्रतिशत भाग में जल ही है। मगर इस जल का मात्र 3.5 प्रतिशत जल पिने योग्य है अर्थात पृथ्वी का 96.5 प्रतिशत जल खरा यानी समुद्री जल है।

विश्व जल दिवस:-

जल संरक्षण के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य बारिश के पानी के भंडारण को सुनिश्चित करने के लिए जलवायु परिस्थितियों और उप समतल क्षेत्रों के लिए उपयुक्त बारिश का पानी संरक्षित करना है।

देश भर में हजारों बड़े बाँध तथा मिलियन संख्या में कुएँ मौजूद हैं। मानसून के समय इन सब में पानी संरक्षित व संचय किया जा सकता है।

पानी की एक बूंद भी अहम है हम सभी को एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते पानी संरक्षण के प्रति प्रतिज्ञा लेनी चाहिए और लोगों में भी इस मुद्दे पर प्रचार करना चाहिए

जल संरक्षण क्या है:-

जल संरक्षण का अर्थ है जल बचाव करना और संचय का अर्थ है एकत्रित या इकट्ठा करना। जल संरक्षण का तात्पर्य जल की बर्बादी को रोकने से है। पानी की कमी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पानी का संरक्षण व संचय जरूरी कार्य है। पानी संचय करके हम लंबे समय तक पानी की कमी से छुटकारा पा सकते हैं।

जल संरक्षण की आवश्यकता:-

जनसंख्या वृद्धि और उद्योग की के कारण स्वच्छ जल स्रोतों की आवश्यकता है और बढ़ रही हैं लेकिन हमारे पास जल का सीमित संग्रह बचा है। हमारे आने वाली पीढ़ी और हमें जल का संरक्षण और संचय ही एकमात्र उपाय है जो की जल की कमी से होने वाले संकट से बचा सकता है।

जल समस्त संसार के लिए आवश्यक है और पृथ्वी  पर इसका सीमित स्रोत हमें इस बात की ओर इंगित करता है कि हम जल संरक्षण की ओर ध्यान दें नहीं तो आने वाली पीढ़ी को जल के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है ।

जल संकट के आवश्यक घटक:-

बढ़ती जनसंख्या एवं अशिक्षित समाज है। जल संकट का कारण, बढ़ती जनसंख्या के कारण वनों की कटाई जो कि सूखा का एक मुख्य कारण है,

जमीन बंजर हो जाती है वनों की कटाई के कारण की जिससे वह भूमि कृषि करने लायक भी नहीं रहती है, इसलिए जल संरक्षण के लिए पेड़-पौधे का लगाना अति आवश्यक है।

यह उपाय जल की कमी को पर्याप्त मात्रा में पूरा करने के लिए बहुत ही बेहतर है। यह समस्या पूरे विश्व की है किसी एक देश की नहीं है इसलिए हम सबको मिलकर इसके लिए समाधान खोजना चाहिए। जल संकट को कम या खत्म किया जा सकता है।

जल संरक्षण के उपाय:-

  1. वर्षा के जल का संग्रह करें:-

वर्षा के जल का संग्रह करे। वर्षा का जल सबसे शुद्ध होता है फिर भी आज कल वर्षा का जल संचित करे ताकि वह जल नदियों गजरो तालाबों आदि में न बह सके  क्योंकि दूषित जल को शुद्ध करने में अधिक मात्रा में खर्च आता है अतः प्राकृतिक रूप से मिला हुआ शुद्ध जल हम बर्बाद कर देते हैं।

हम प्रत्येक साल में होने वाली जल की कमी को पुरा कर सकते हैं। अगर हम वर्षा के जल का संरक्षण करें तो वर्षा के जल को हम गड्ढों,नदी एवं तालाब का निर्माण करके उसमें वर्षा के जल का संचय का कार्य कर सकते हैं।

  1. भूगर्भ जल का रक्षण:-

जमीन के अंदर के जल को हम भूगर्भ जल कहते है हमें भूगर्भ जल का रक्षण करना चाहिए। हम समर सेबल,हैंड पंप आदि से जल निकालते हैं। अधिक भूगर्भ जल निकालने के कारण तथा उसका दुरुपयोग करने के कारण भूगर्भ के जल में कमी आती जा रही है। यह कमी तालाब, सरोवर, झील आदि से भूगर्भ जल का स्तर बढ़ता है। हमें भूमि प्रदूषण को रोकने की भी आवश्यकता है ।

जल संरक्षण पर निबंध (1000,1500 शब्द)

परिचय:-

जल ही जीवन है ऐसा कहा जाता है लेकिन यह बात शत प्रतिशत सत्य है वैसे तो पृथ्वी का 71 प्रतिशत भाग में जल ही है। मगर इस जल का मात्र 3.5 प्रतिशत जल पिने योग्य है अर्थात पृथ्वी का 96.5 प्रतिशत जल खरा यानी समुद्री जल है।

जल संरक्षण का अर्थ:-

जल संरक्षण का अर्थ है l कि स्वच्छ और पीने योग्य जल को बिना किसी जरूरत के व्यर्थ बहाव ना करते हुए उसको सही तरीके से उपयोग में लाकर जल के बचाव की ओर किए गए कार्य को जल संरक्षण या जल संरक्षण का अर्थ कहते हैं। जल के बिना मनुष्य का जीवन संभव ही नहीं है।

पृथ्वी का लगभग 71 प्रतिशत भाग पानी है जिसका 96.5 प्रतिशत नमकीन या समुद्री पानी है और मात्र 3.5 प्रतिशत ही पीने लायक पानी है। इससे यह साफ़ पता चलता है कि आने वाले वक्त में मनुष्य के लिए जल को ले कर कितनी बड़ी समस्या होने वाली है। इसलिए हमें आज से ही जल संरक्षण का कार्य शुरू करना होगा।

जल संरक्षण का कार्य देश के किसी नेता या सरकारी संस्थान का काम नहीं है। यह कार्य पृथ्वी के हर एक मनुष्य का कार्य है इसे हमें आज और अभी से शुरू करना होगा। अगर हम शुरू करेंगे तो धीरे-धीरे हमें देख कर हमारे आसपास के लोग और आने वाली पीढ़ी भी सीखेंगे।

जल संरक्षण का महत्त्व:-

जल संरक्षण का महत्त्व संसार के सभी मनुष्य को जल का महत्त्व और भविष्य में जल की कमी से होने वाली समस्याओं को समझना चाहिए। पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए जल संरक्षण और बचाव बहुत जरूरी है, क्योंकि बिना जल के जीवन संभव ही नहीं है। पृथ्वी ही ऐसा ग्रह है जहाँ पानी और जीवन आज की तारीख तक मौजूद है।

पृथ्वी पर सभी चीजों को जल की जरूरत होती है जैसे पेड़-पौधे, जीव-जंतु, कीड़े, इंसान और अन्य जीवित चीजें। हमें पीने, खाना पकाने, नहाने, कपड़े धोने, कृषि आदि जैसी सभी गतिविधियों में जल की आवश्यकता होती है। इसीलिए जल बचाने के लिए पृथ्वी का प्रत्येक मनुष्य जिम्मेदार हैं।

जल संरक्षण करने की आवश्यकता:-

बिना जल के जीवन संभव ही नहीं है। यह एक मुख्या और सबसे बड़ा कारण है।
शहरी क्षेत्रों में लोगों को पानी न मिल पाने की बहुत परेशानी होती है। इसका मुख्या बड़ा कारण प्रदूषण है और बढती जनसंख्या है। लेकिन जिस प्रकार आज सरकार ने पानी का बिल लेना शुरू कर दिया है और बाजारों में पीने का पानी तेज़ी से बिक रहा है यह साफ़ पता चलता है कि पेयजल में तेज़ी से कमी आ रही है।

पीने का पानी कम होने के कारण लोग अशुद्ध पानी का सेवन कर रहे हैं जिसके कारण मनुष्य को बड़ी-बड़ी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है।

बड़े-बड़े किसान अधिक लोभ के कारण ज्यादा-ज्यादा से बोरेवेल खुदवा रहे हैं जिससे वे भू-जल का ज्यादा भाग गर्मियों के महीने में कृषि के लिए उपयोग कर रहे हैं। इसका सीधा असर पृथ्वी के जल स्तर पर पड़ रहा है और कुछ वर्षों की अच्छी खेती के बाद उनकी पृथ्वी  बंजर होते जा रही है।

मनुष्य को पानी की आवश्यकता हर क्षेत्र में है जैसे पीने, भोजन बनाने, स्नान करने, कपड़े धोने, फसल उगाने, आदि के कार्य में।

जल की कमी से प्रकृति का संतुलन बुरी तरह से बिगड़ते जा रहा है जो पृथ्वी के हर जीव को संकट की और लेते जा रहा है।

जल संकट के मुख्य कारण:-

आज दुनिया भर में औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और खनिज संपदा का बड़ी मात्राओं में विद्रोहन तथा कारखानों के विषैले रासायनिक अवशिष्टओ का उत्सर्जन होने से जल संकट निरंतर बढ़ जा रहा है इससे ना तो खेती-बाड़ी के लिए पर्याप्त पानी मिल पा रहा है और ना ही पेयजल की आपूर्ति हो पा रही है।

जल संकट का पृथ्वी पर प्रभाव:-

जल संकट का प्रभाव हम साफ़ देख सकते है कि तालाब और कुएँ सूख रहे हैं, नदियों का जलस्तर घट रहा है और जमीन का जलस्तर भी लगातार कम होते जा रही है, जिसके कारण अनेक प्रकार के जीव जंतु एवं पादपों का अस्तित्व मिट गया है, खेतों की उपज घट गई है और वन भूमि सूख रही है तथा पृथ्वी  का तापमान लगातार बढ़ते जा रहा है। इस तरह से जल संकट का दुष्परिणाम देखने को मिल रहा है।

 

जल संरक्षण के मुख्य उपाय:-

  • बड़ी-बड़ी फ़ैक्टरी व कारख़ानों से निकलने वाले गंदे पानी को एक सुनिश्चित जगह पर निर्धारित किया जाना चाहिए जिससे वह अशुद्ध पानी, शुद्ध पानी के जल स्रोतों से मिलने ना पाये।
  • समरसेबल पंप से निकलने वाले पानी को हम सब जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं जो कि गलत है। हमें उतना ही इस्तेमाल करना चाहिए जितना की हमें जरूरत है।
  • सार्वजनिक स्थलों पर लगाए गए पानी की टंकियों को ऑटोमेटिक करना चाहिए जिससे शुद्ध जल की बर्बादी ना हो सके।
  • हम सभी को जागरूक नागरिक की तरह जल संरक्षण का अभियान चलाते हुए बच्चों और महिलाओं में जागरूकता लानी होगी। स्नान करते समय हमें शावर टब का प्रयोग ना करके बाल्टी में पानी लेकर नहाना चाहिए जिससे हम बहुत जल बता सकते हैं।
  • रसोई में जल की बाल्टी या टब में बर्तन साफ करें तो पानी बहुत बचाया जा सकता है।
  • ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा वर्षा जल संचयन के प्रोजेक्ट शुरू किये जाने-जाने चाहिए।
  • गांव कस्बों और नगरों में छोटे बड़े तालाब बनाकर वर्षा जल का संरक्षण किया जाए।
  • नगरों और महानगरों में घरों कि नालियों में पानी को गड्ढा बनाकर एकत्रित किया जाए और पेड़ पौधे की सिंचाई के काम में लाया जाए तो साफ पानी की बचत की जा सकती है।
  • घरों मुहल्लों और सार्वजनिक पार्कों स्कूलों अस्पतालों दुकानों मंदिरों आदि में नली की टोटियाँ खुली या टूटी रहती है, तो अनजाने ही प्रतिदिन हजारों लीटर जल बेकार हो जाता है। इस बर्बादी को रोकने के लिए नगर पालिका एक्ट में टोंटियों की चोरी को दंडात्मक अपराध बनाकर, जागरूकता भी बढ़ानी होगी।
  • विज्ञान की मदद से आज समुद्र के खारे जल को पीने लायक बनाया जा रहा है। गुजरात के आदि नगरों और प्रत्येक घर में पीने के जल के साथ-साथ घरेलू कार्यों के लिए खारे जल का प्रयोग करके शुद्ध जल का संरक्षण किया जा रहा है। इसे बढ़ावा देना चाहिए।
  • गंगा तथा यमुना जैसी बड़ी नदी की सफाई करना बहुत जरूरी है। बड़ी नदियों के जल का शोधन करके पेयजल के रूप में प्रयोग किया जा सके। शासन प्रशासन को लगातार सक्रिय रहना होगा।
  • जंगलों को काटने से हमें दोहरा नुकसान हो रहा है। पहला यह कि वाष्पीकरण ना होने से वर्षा नहीं हो पाती है तथा भूमिगत जल सूख जाता है। बढ़ती हुई जनसंख्या और औद्योगिकीकरण के कारण जंगल और वृक्षों के अंधाधुन काटने से भूमि की नामी लगातार कम होते जा रही है, इसीलिए वृक्षारोपण लगातार किया जाना चाहिए।
  • पानी का दुरुपयोग हर स्तर पर कानून के द्वारा प्रचार माध्यमों से प्रचार करके तथा विद्यालयों में पर्यावरण प्रदूषण की तरह जल संरक्षण विषय को अनिवार्य रूप से पढ़ाकर रोका जाना जरूरी है। अब समय आ गया है कि केंद्रीय और राज्यों की सरकारों जल संरक्षण को नए विषय बनाकर प्राथमिक से उच्च स्तर तक नई पीढ़ी को बताने का कानून बनाएँ।

निष्कर्ष:-

जल ही जीवन है इसी को आधार मानकर समाज में नई जागृति लाने का प्रयास किया जाए। अमृत जल जैसा जनजागरण किये जाए। जल चेतना की जागृति लाने से जल संचय एवं जल संरक्षण की भावना का प्रयास होगा तथा इससे पृथ्वी  का जिवन सुरक्षित रहेगा। पृथ्वी  पर जीवन का सबसे जरूरी स्रोत जल है क्योंकि हमें जीवन के सभी कार्यों को निष्पादित करने के लिये जल की आवश्यकता है जैसे पीने, भोजन बनाने, नहाने, कपड़ा धोने, फसल पैदा करने आदि के लिये। बिना इसको प्रदूषित किये भविष्य की पीढ़ी के लिये जल की उचित आपूर्ति के लिये हमें पानी को बचाने की जरुरत है। हमें पानी की बर्बादी को रोकना चाहिये, जल का उपयोग सही ढंग से करें तथा पानी की गुणवत्ता को बनाए रखें।

 

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