जल ही जीवन है पर निबंध | Jal Hi Jeevan Hai Par Nibandh

जल ही जीवन है (200 शब्द)

इस पृथ्वी पर मनुष्य, पशु, पक्षियों को जीवित रहने के लिए जो चीज सबसे जरूरी है वह वायु और जल है बिना इसके पेड़-पौधे भी जीवित नहीं रह सकते। अर्थात बिना इसके पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते शायद इसीलिए जल की जीवन कहा गया है। लेकिन क्या हम आज जल का महत्त्व समझ पा रहे हैं, जी नहीं बिलकुल नहीं। आज हमने ऐसी परिस्थितियाँ खड़ी कर दीं हैं कि हमारी आने वाली पीढ़ी को जल नशीब ही नहीं होगा। अगर समय रहते हमने अपनी भूलों की नहीं सुधारा तो आने वाले वक़्त में भरी जल-संकट का सामना पूरी दुनिया को करना पड़ सकता है। जिस तरह से हम आधुनिकता की अंधी दौड़ में भटक रहे हैं और पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहे हैं उसकी वजह से आने वाले समय में धीरे-धीरे नदियाँ, तालाब, नहरें सब सूख जाएँगे और विश्व गहरे जल संकट में फंस जाएगा। हमें जरूरत है जल-संवर्धन की, हमें जरूरत है जल प्रदूषण को रोकने की  हमें जरूरत है जल को व्यर्थ करने की आदत को रोकने की। आइये हम सब एक साथ मिलकर जल ही जीवन है इस कथन को गहराई से समझ के जल व जीवन को बचाने का वचन लें।

जल ही जीवन है

जल ही जीवन है (300 शब्द)

हमारी इस पृथ्वी का 70 प्रतिशत हिस्सा जलीय है, समुद्र जो की सबसे बड़ा जल का स्रोत है वह पूरी पृथ्वी   मं, फैला हुआ जल का विशाल भंडार है। हमारी पृथ्वी पर अब उपयोग करने लायक जल धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है और इसका बड़ा कारण भी हम मनुष्य ही हैं। अगर इसी तरह से हम प्रकृति का नाश करते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब तीसरा विश्वयुद्ध जल के लिए होगा। हम कुछ दिन भोजन के बिना रह सकते हैं लेकिन जल के बिना एक दिन भी नहीं रह सकते है क्योंकि मानव के शरीर में जल की मात्रा 70 प्रतिशत तक है।

हम जल का व्यर्थ उपयोग जब तक बंद नहीं करेंगे तब तक हम जल को नहीं बचा सकते। और हम सब को चाहिए की “जल ही जीवन है” इस बात को ध्यान में रखना होगा। हम अपनी आने वाली नसल को अगर जल की कमी से झूझता हुआ नहीं देखना चाहते तो हमें अभी से जागना होगा और इस संसार के जल के भंडार को बचाना होगा। यदि हम आज नहीं जागे तो आने वाली दशक में हमारी पीढ़ी हमें कभी माफ़ नहीं करेगी। आइये हम सब “जल ही जीवन है” इस मंत्र को अपने जीवन में आत्मसात करें और जल को बचाएँ। अपने रोजिंदा जीवन में हमें जल का सही और सीमित उपयोग करना होगा। जहाँ एक ग्लास जल की आवश्यकता होती है वहाँ हम एक टंकी जल बहा देते हैं, यह आदत हमें बदलनी होगी। लोगों को हमें जागरूक करने की आवश्यकता है इसके लिए हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस भी मनाया जाता है ताकि लोग जल के महत्त्व को समझें और अपने आपको जिम्मेदार बनाएँ। अगर हम नहीं जागे तो आने वाली पीढ़ी हमें कभी क्षमा नहीं करेगी। आइये हम सब “जल ही जीवन है” इस मंत्र को अपने जीवन में आत्मसात करें और जल को बचाएँ।

जल ही जीवन है (500 शब्द)

“जल ही जीवन है” जल के बिना जीवन का कोई अस्तित्व संभव भी नहीं है

“जल है तो कल है” इसके भी बावजूद हम सब जल बिना आवश्यकता व्यर्थ में बहाते रहते है। जल-संकट का समाधान जल के संरक्षण से ही है। इस बात को हमें नहीं भूलना नहीं चाहिए। “जल ही जीवन है”। यह बात हम सब अपने बचपन से सुनते आ रहे हैं, “जल” पृथ्वी पर उपलब्ध एक बहुमुल्य संसाधन है, या यूं कहें कि यही सभी सजीवो के जीने का आधार है जल। पृथ्वी का तीन से चौथाई भाग जल से घिरा हुआ है, लेकिन इसमें से 97% जल  खारा है जो कि पीने लायक नहीं है, बस 3% जल  पीने लायक है। जिसमे से 2% जल बर्फ के रूप में मौजूद है। अगर सही तरह से देखा जाये तो मात्र 1% जल मनुष्य को हमें इस्तेमाल करने लायक है।

नगरीकरण और औद्योगिकीरण की तीव्र गति व बढ़ता प्रदूषण तथा जनसंख्या में लगातार वृद्धि के साथ प्रत्येक व्यक्ति के लिए पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है देश के कई हिस्सों में जल  की समस्या विकराल रूप धारण कर रही है। प्रतिवर्ष यह समस्या पहले के मुकाबले और बढ़ती जाती है, लेकिन हम तो केवल हमेशा यही सोचते हैं बारिश आते ही जल  की समस्या दूर हो जायेगी और यह सोचकर जल सरंक्षण के प्रति बेरुखी अपनाये रहते हैं।

आने वाले दशक में जल संकट की समस्या और भी भयानक रूप ले लेगी, ऐसा मानना है कि दुनियाभर में 75 प्रतिशत से ज्यादा लोग जल की कमी की संकटों से जूझ रहे हैं। ‘विश्व जल दिवस’ 22 मार्च को मनाया जाने वाला बस एक दिवश नहीं है, जल संरक्षण को खुद भी गंभीरता से ले और दूसरों को भी जागरुक करे।

शुद्ध पेयजल की अनुपलब्धता और सम्बंधित ढेरों समस्याओं को जानने के बावजूद देश की बड़ी आबादी जल संरक्षण के प्रति सचेत नहीं है। जहाँ लोगों को मुश्किल से जल मिलता है, वहाँ लोग जल की महत्ता को समझ रहे हैं, लेकिन जिसे बिना किसी परेशानी के जल मिल रहा है, वे ही बेपरवाह नजर आ रहे हैं। आज भी गैर-जरुरी कार्यों में जल  को बेवजह बहाया जाता है।

प्रदूषित जल में आर्सेनिक, लौहांस आदि की मात्रा अधिक होती है, जिसे पीने से तमाम तरह की स्वास्थ्य सम्बंधी व्याधियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अध्ययन के अनुसार दुनिया भर में 86 फीसदी से अधिक बीमारियों का कारण असुरक्षित व दूषित पेयजल है। विश्व में करीब 1.10 अरब लोग दूषित पेयजल पीने को मजबूर हैं जबकि वर्तमान में करीब 1600 जलीय प्रजातियाँ जल प्रदूषण के कारण लुप्त होने के कगार पर हैं और साफ जल के बगैर अपना गुजारा कर रहे हैं। हम जल बेवजह उपयोग जबतक बंद नहीं करेंगे तबतक हम जल को नहीं बचा सकते।

जल तो सोना है, इसे कभी नहीं खोना। पृथ्वी पर निवास करने वाली जीवशृष्टि के लिए जल सबसे महत्त्वपूर्ण प्रकृति की देन है। इस देन को हमें संभाल कर रखना है और इसके लिए हम में से प्रत्येक को एक जिम्मेदार मनुष्य की तरह कोशिश करते रहना होगा।

जल ही जीवन है (1000 शब्द)

प्रस्तावना

हमारी इस सुंदर-सी पृथ्वी पर वैसे तो प्रकृति ने बहुत कुछ दिया है लेकिन एक कीमती चीज हमें जो दी है वह है जल जिसे हम अपने रोजिंदा जीवन में जल  कहते हैं। आपको यह जानकार हैरानी होगी की हमारे शरीर का 70 प्रतिशत हिस्सा जल का बना हुआ है और इसीलिए हमें बार-बार जल पीकर अपनी प्यास को तृप्त करना पड़ता है।

सिर्फ यही नहीं, पृथ्वी का भी 70 प्रतिशत भाग जलमय है, जिसमें नदियाँ, समुद्र और हिमखंड आदि आते हैं। इतने बड़े जल का भंडार होने के बाद भी सिर्फ 3 प्रतिशत जल ही हम मनुष्यों और प्राणियों के उपयोग करने के लायक है क्योंकि अधिकतर जल समुद्र का है जो की खारा होता है और हम उसका उपयोग नहीं कर सकते।

पृथ्वी पर जल संकट

मानवीय भूलों का ही परिणाम है कि आज पृथ्वी पर जल संकट खड़ा हो गया है। लगातार बढ़ता प्रदूषण इसके मुख्य कारण हैं। पृथ्वी अब सूखती जा रही है। कई जगहों पर अब एक बूंद भी जल  नहीं बचा। लोगों को जल की तलाश में दूर-दूर तक जाना पड़ता है। किसानों को सिंचाई के लिए जल  नहीं है उन्हें सूखे के हालातों का सामना करना पड़ रहा है। जंगलों में प्राणियों के लिए पीने लायक जल  नहीं बचा जिसकी वजह से उनके जीवन पर भी खतरा मंडराने लगा है।

नदियों के बहाव को रोकने की वजह से वह सूख रहीं हैं लगातार जंगलों की कटाई की वजह से बरसात में कमी आई है।, हम बरसात के जल  का संचय भी नहीं कर रहे और बरसात का सारा जल  समुद्र में व्यर्थ चला जाता है। मानव की इस अनदेखी का नतीजा निकलकर अब सामने आ रहा है और खड़ा हो रहा है अगर भविष्य में कभी विश्वयुद्ध होगा तो जल इसका मुख्य कारण होगा।

बढ़ता जल प्रदूषण

हमारी पृथ्वी के जल स्रोत को अगर किसी ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया है तो वह है–बढ़ता हुआ जल प्रदूषण।

नदियों में कूड़ा-कचड़ा,प्लास्टिक, फेकना, तथा कारखानों और फेक्टरियों से निकलने वाला गंदा जल  नदियोंऔर तालाबों में डालना यही वजह है की नदी और तालाबों का जल  भी अशुद्ध हो गया है।

इतना जल को प्रदूषित करने के कारण नदियाँ सूख रही हैं, जल पीने लायक भी नहीं रहा।

अगर इसी प्रकार हम नदियों, तालाबों आदि को प्रदूषित करते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब नदियों का आस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा और हमारे पास एक मात्र नदियों का ही सहारा है वह भी खतम हो सकता है।

पृथ्वी पर जल कैसे बचाएँ

हमें कुछ ऐसे कदम उठाने की जरूरत है जिसमे समय अवश्य लगेगा किन्तु उसके दूरगामी परिणाम हमें बहुत अच्छे देखने को मिलेंगे।यदि हम अभी और आज से ही अपनी गलतियों से सबक लें और जाग जाएँ ।

सबसे पहले हमें जल कीमत को समझना होगा। हमें अपनी यह आदत हमें बदलनी होगी। जो की हमसब अपने प्रत्येक दिन जीवन की कार्यों में बहुत सारा जल बेवजह बहा देते हैं, महात्मा गांधीजी से हम एक बात सीख सकते हैं वह यह की महात्मा गांधीजी हमेशा उतना ही जल लेते थे जितने की आवश्यकता हो और यदि जल बचता भी था तो उसे व्यर्थ में नहीं बहाते थे। यही सोच हमें अपने अंदर लाने की जरूरत है।

दूसरा काम हम कर सकते हैं नदियों, तालाबों आदि को प्रदूषित ना करना। नदियों में जो कूड़ा-कचड़ा, गंदा जल  फेंकते हैं वह हमें बंद करना होगा। त्यौहार के समय मूर्तियाँ विसर्जन करते समय यह ध्यान रहे की मूर्ति मिट्टी की बनी हो या उसे किसी कृत्रिम कुंड में विसर्जित करना चाहिए। नदियों की साफ सफाई कर हमें उसके जल को पवित्र करना चाहिए। और साथ साथ समुद्र में भी हमें गंदगी फैलाने से बचना चाहिए।

लगातार जंगलों की कटाई की वजह से बरसात में कमी आई है। हमें हरित क्रान्ति लानी होगी और ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण कर पृथ्वी पर हरियाली लानी होगी। ऐसा करने से बरसात के हालात में सुधार होगा।

सबसे महत्त्वपूर्ण कदम हमें यह उठाना है कि जल के संचय की आदत को डालना है। जगह-जगह कुंड, तालाब, जलाशयों का निर्माण कर हमें बरसात के जल को एकत्र करना चाहिए, ऐसा करने से निश्चित रूप से जहाँ जल संकट है वहाँ जल  की कमी से निजात मिलेगी।

एक और काम हमें करना है और वह है जन जागृति का, जिसके बिना अन्य कार्य सब व्यर्थ हैं। लोगों को हमें समझाना होगा की जल हमारे लिए कितना महत्त्व रखता है।

विश्व जल दिवस

लोगों में जन जागृति लाने के लिए और उन्हें जल का महत्त्व समझाने के लिए हर वर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस (World Water Day) मनाया जाता है। ऐसे लाखों लोग हैं जो की अपने ही घरों में दूषित जल  पीने को मजबूर हैं।

इस दिन स्कूलों में खासकर बच्चों को जल का महत्त्व समझाया जाता है। और बताया जाता है कि जल की क्या कीमत है और हमें किस तरह इसे बचाने के लिए कार्य करना चाहिए।

उपसंहार

जल को बचाने की ज़िम्मेदारी हम सबकी है और हमें इस ज़िम्मेदारी से भागना नहीं चाहिए। अगर हम आज भी नहीं सुधरे तो हो सकता है आने वाले दशक में हमारी पीढ़ी को पिने के लिए भी जल  ना बचे। “जल ही जीवन है” और जल के बिना हमारा कल नहीं है इस बात को हम सब गौर करें और जल को बचाने के लिए अपना योगदान दें।

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