मृदा प्रदूषण पर निबंध । Soil Pollution Essay in Hindi

मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

 आप यही से पढना आरम्भ कर सकते है मृदा प्रदूषण के विषय में l 

परिचय । Introduction

वर्षा से भूमि की संरचना का बिगड़ना, दिन-प्रतिदिन उर्वरकों का प्रयोग, चूहे मारने की दवा आदि का प्रयोग तथा फसलों को बीमारी से बचाने के लिये दवा का छिड़काव भूमि की उर्वरकता को नष्ट कर देता है तथा ऐसा प्रदूषण मृदा प्रदूषण कहलाता है। एक बार जब प्रदूषक मिट्टी में मिश्रित हो जाता है तो वह लंबे समय तक मिट्टी के साथ सीधे संपर्क में रहता है। उपजाऊ भूमि में औद्योगिकीकरण और विभिन्न प्रभावी उर्वरकों की बढ़ती खपत से लगातार धरती की मिट्टी संरचना और उसका रंग बदल रहा है जो पृथ्वी पर जीवन के भविष्य के लिए बहुत खतरनाक संकेत है।

मृदा प्रदूषण

मृदा प्रदूषण का कारण । Cause of soil pollution

सल्फर डाइअॉक्साइड एवं नाइट्रोजन डाइऑक्साइड वर्षा से क्रिया करके अम्ल बनाती हैं जिसे अम्लीय वर्षा कहते हैं। अम्लीय वर्षा भूमि की उर्वरकता को नष्ट करती है। कई उर्वरक जैसे-अमोनियम सल्फेट, यूरिया, कैल्शियम सायनामाइड, अमोनियम नाईट्रेट एवं कैल्शियम सुपर फॉस्फेट आदि का लगातार प्रयोग मृदा की उर्वरकता को नष्ट करता है। सब्जी, फलों तथा फूलों पर लगने वाले कीड़ों को मारने के लिये किया जाने वाला रासायनिक छिड़काव मृदा को प्रदूषित करता है।उद्योगों और घरेलू सर्किलों द्वारा जारी किए जाने वाले विषाक्त पदार्थों के मिश्रण के माध्यम से पृथ्वी पर सारी उपजाऊ जमीन धीरे-धीरे प्रदूषित हो रही है। भूमि  प्रदूषण के प्रमुख स्रोत औद्योगिक अपशिष्ट, शहरी अपशिष्ट, रासायनिक प्रदूषकों, धातु प्रदूषण, जैविक एजेंट, रेडियोधर्मी प्रदूषण, गलत कृषि पद्धतियां आदि है। औद्योगिक प्रक्रियाओं द्वारा जारी औद्योगिक कचरे में कार्बनिक, अकार्बनिक और गैर-बायोडिग्रेडेबल सामग्रियां होती है जिनमें मिट्टी की भौतिक और जैविक क्षमताएँ बदलने की ताकत होती है। यह पूरी तरह से मिट्टी की बनावट और खनिज, बैक्टीरिया और फंगल कालोनियों के स्तर को बदल कर रख देता है।अग्रिम कृषि-प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाली गलत कृषि पद्धति (कीटनाशकों सहित विषाक्त उर्वरकों की भारी मात्रा में उपयोग) से धीरे-धीरे मिट्टी की शारीरिक और जैविक संपत्ति में गिरावट आ जाती है। भूमि प्रदूषण के अन्य स्रोत नगरपालिका का कचरा ढेर, खाद्य प्रसंस्करण अपशिष्ट, खनन प्रथाएं आदि हैं।

मृदा प्रदूषण का प्रभाव । Effects of soil pollution

मृदा प्रदूषण से भूमि की उत्पादकता घटती है तथा उसमें कोई भी फसल एवं पेड़-पौधे आदि नहीं तैयार हो पाते हैं। धीरे-धीरे भूमि उसरीली हो जाती है। नग्न भूमि मृदाक्षरण को बढ़ावा देती है जिससे बाढ़ की विकराल समस्या आती है।

मृदा प्रदूषण का नियंत्रण । Control of soil pollution

कृषि कार्य में रासायनिक खादों के स्थान पर गोबर, घास, कूड़ें आदि से निर्मित कम्पोस्ट खाद एवं हरी खाद का प्रयोग करने से इस प्रदूषण को रोकने में सहायता मिलती है। एक खेत में एक ही फल उगाने के स्थान पर अलग-अलग फसल को उगाने से मृदा प्रदूषण को रोकने में सहायता मिलती है। वृक्षारोपण इस  प्रदूषण को रोकने का एक प्रभावी उपाय है।

निष्कर्ष । Conclusion

मृदा प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक है क्योंकि विषाक्त रसायन शरीर में खाद्य श्रृंखला के माध्यम से प्रवेश कर जाते हैं और पूरे आंतरिक शरीर प्रणाली को परेशान करते हैं। मृदा प्रदूषण को कम करने और प्रतिबंधित करने के लिए पर्यावरण संरक्षण कानूनों सहित सभी प्रभावी नियंत्रण उपायों का अनुसरण लोगों द्वारा विशेष रूप से उद्योगपति द्वारा किया जाना चाहिए। ठोस अपशिष्टों के रीसाइक्लिंग और पुन: उपयोग तथा लोगों के बीच जहाँ तक संभव हो सके वृक्षारोपण को भी बढ़ावा देना चाहिए।

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