Global Warming Essay in Hindi । ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध

Global Warming (वैश्विक तापमान)

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वैश्विक तापमान । Global warming

आज के समय में मानव जाति भिन्न-भिन्न प्रकार की तकनीकें विकसित करता चला आ रहा है विकास के लिए मनुष्य कई तरह से प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है जिसकी वजह से प्रकृति के संतुलन को बनाये रखने में बहुत मुश्किल हो रही है l यही असंतुलन बहुत प्रकार की समस्याओं को पैदा करता है l इन गंभीर समस्याओं में से एक समस्या ग्लोबल वार्मिंग होती है ग्लोबल वार्मिंग या वैश्विक तापमान बढ़ने का मतलब है कि पृथ्वी लगातार गर्म होती जा रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले दिनों में सूखा बढ़ेगा, बाढ़ की घटनाएँ बढ़ेगी और मौसम का मिज़ाज पूरी तरह बदला हुआ दिखेगा। आसान शब्दों में समझें तो ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ है ‘पृथ्वी के तापमान में वृद्धि और इसके कारण मौसम में होने वाले परिवर्तन’ पृथ्वी के तापमान में हो रही इस वृद्धि (जिसे 100 सालों के औसत तापमान पर 10 फारेनहाईट आँका गया है) के परिणाम स्वरूप बारिश के तरीकों में बदलाव, हिमखण्डों और ग्लेशियरों के पिघलने, समुद्र के जलस्तर में वृद्धि और वनस्पति तथा जन्तु जगत पर प्रभावों के रूप के सामने आ सकते हैं। सामान्य परिस्थितियों में पृथ्वी का ताप इससे टकराने वाले सूर्य विकिरणों तथा अंतरिक्ष में वापस लौट जाने वाली किरणों द्वारा नियंत्रित होता है। जब वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता बढ़ जाती है तो इस गैस की मोटी परत किरणों को परावर्तित होने से रोकती है। यह मोटी ग्रीन हाउस की काँच की दीवार तथा कार की खिड़की के काँच की भाँति होती है। यह दोनों ही गर्मी को बाहर विकिरित होने से रोकती है। इसे ‘ग्रीन हाउस प्रभाव’ कहते हैं। यही क्रिया प्रकृति में भी होती है। यहाँ कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन, ओजोन, जलवाष्प, मीथेन, नाइट्रोजन ऑक्साइड तथा क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैसें एक मोटी परत पृथ्वी के वातावरण में बना लेती हैं जो गलास हाउस के काँच की भाँति ही कार्य करती है अर्थात सूर्य उष्मा जो भीतर आती है पूरी की पूरी वापस नहीं जाने पाती जिससे विश्व स्तर पर वातावरण की निचली परत में वायु का ताप बढ़ जाता है। बढ़ी हुई कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को समुद्रों द्वारा अवशोषित किया जा सकता है परंतु औद्योगीकरण तथा ऊर्जा के अत्यधिक उपयोग से समुद्री अवशोषण क्षमता की तुलना में वायु मण्डल में अधिक कार्बन डाइ ऑक्साइड उत्सर्जित हो रही है। इस प्रकार वायुमण्डल में कार्बन डाइ ऑक्साइड की सांद्रता निरंतर बढ़ रही है। कार्बन डाइ ऑक्साइड पृथ्वी के ताप में 50 प्रतिशत एवं क्लोरोफ्लोरोकार्बन में 20 प्रतिशत तक की वृद्धि करती है।

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वैश्विक तापमान के कारण । Due to global temperature

ग्लोबल वार्मिंग के कारण होने वाले जलवायु परिवर्तन के लिये सबसे अधिक जिम्मेदार ग्रीन हाउस गैस हैं। ग्रीन हाउस गैसें, वे गैसें होती हैं जो बाहर से मिल रही गर्मी या ऊष्मा को अपने अंदर सोख लेती हैं। ग्रीन हाउस गैसों का इस्तेमाल सामान्यतः अत्यधिक सर्द इलाकों में उन पौधों को गर्म रखने के लिये किया जाता है जो अत्यधिक सर्द मौसम में खराब हो जाते हैं। ऐसे में इन पौधों को काँच के एक बंद घर में रखा जाता है और काँच के घर में ग्रीन हाउस गैस भर दी जाती है। यह गैस सूरज से आने वाली किरणों की गर्मी सोख लेती है और पौधों को गर्म रखती है। ठीक यही प्रक्रिया पृथ्वी के साथ होती है। सूरज से आने वाली किरणों की गर्मी की कुछ मात्रा को पृथ्वी द्वारा सोख लिया जाता है। इस प्रक्रिया में हमारे पर्यावरण में फैली ग्रीन हाउस गैसों का महत्त्वपूर्ण योगदान है।

अगर इन गैसों का अस्तित्व हमारे में न होता तो पृथ्वी पर तापमान वर्तमान से काफी कम होता।

 

वैश्विक तापमान के परिणाम । Global temperature results

ग्रीन हाउस गैस वो गैस होती है जो पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश कर यहाँ का तापमान बढ़ाने में कारक बनती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इन गैसों का उत्सर्जन अगर इसी प्रकार चलता रहा तो 21वीं शताब्दी में पृथ्वी का तापमान 3 डिग्री से 8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। अगर ऐसा हुआ तो इसके परिणाम बहुत घातक होंगे। दुनिया के कई हिस्सों में बिछी बर्फ की चादरें पिघल जाएँगी, समुद्र का जल स्तर कई फीट ऊपर तक बढ़ जाएगा। समुद्र के इस बर्ताव से दुनिया के कई हिस्से जलमग्न हो जाएँगे, भारी तबाही मचेगी। यह तबाही किसी विश्वयुद्ध या किसी ‘ऐस्टेराॅइड’ के पृथ्वी से टकराने के बाद होने वाली तबाही से भी बढ़कर होगी। हमारे ग्रह पृथ्वी के लिये भी यह स्थिति बहुत हानिकारक होगी।

कुछ अन्य गैसें जैसे सल्फर डाइ ऑक्साइड, नाइट्रोजन के ऑक्साइड तथा क्लोरोफ्लोरो कार्बन भी ग्रीन हाउस प्रभाव उत्पन्न करते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार 2050 में पृथ्वी का ताप 1 से 5 डिग्री तक बढ़ जाएगा। ताप बढ़ने से ध्रुवों पर अधिक प्रभाव पड़ेगा। ग्रीनलैंड, आइसलैंड, नार्वे, साइबेरिया एवं अलास्का इससे सर्वाधिक प्रभावित होंगे। ध्रुवीय बर्फ पिघल जायेगी। 5 डिग्री ताप वृद्धि से समुद्र स्तर में 5 मीटर की वृद्धि होगी जो सेनफ्रांसिस्को एवं शंघाई जैसे उच्च जनसंख्या वाले तटीय शहरों पर प्रभाव डालेगा।
जैविक विविधता में तेजी से कमी आएगी तथा महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक स्रोतों का ह्रास होगा। 1 डिग्री तापवृद्धि अक्षांश के 100 किमी परिवर्तन के बराबर होगा।  बढ़े हुए ताप से विश्व के अनेक भागों में तीव्र तूफान आएंगे। उन क्षेत्रों में भी तूफान आ सकते हैं जहाँ पहले कभी ऐसा नहीं होता था।  ताप बढ़ने से वर्षा एवं मानसून के स्वरूप में परिवर्तन होगा। कहीं पर सूखा होगा तथा कहीं अत्यधिक वर्षा होगी। इससे मृदा क्षरण बढ़ेगा।  पर्वत शिखरों एवं ग्लेशियरों की बर्फ पिघलने से समुद्र का स्तर बढ़ेगा। ताप वृद्धि से समुद्र गर्म होगा जिससे बांग्लादेश, भारत, मिश्र, इण्डोनेशिया आदि में बाढ़ आ सकती है।  वैश्विक तापवृद्धि से समुद्री पारिस्थिकी तंत्र अत्यधिक बिगड़ जाएगा  तटीय शहरों की बाढ़ वहाँ संक्रामक रोग फैला सकती है।

वैश्विक तापमान को रोकने के उपाय । Measures to prevent global temperature

वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग में कमी के लिये मुख्य रूप से सी.एफ.सी. गैसों का उत्सर्जन रोकना होगा और इसके लिये फ्रिज़, एयर कंडीशनर और दूसरे कूलिंग मशीनों का इस्तेमाल कम करना होगा या ऐसी मशीनों का उपयोग करना होगा जिससे सी.एफ.सी.गैसें कम निकलती हों।

औद्योगिक इकाइयों की चिमनियों से निकलने वाला धुआँ हानिकारक है और इनसे निकलने वाला कार्बन डाइआॅक्साइड गर्मी बढ़ाता है। इन इकाइयों में प्रदूषण रोकने के उपाय करने होंगे।

वाहनों में से निकलने वाले धुएँ का प्रभाव कम करने के लिये पर्यावरण मानकों का सख्ती से पालन करना होगा। उद्योगों और ख़ासकर रासायनिक इकाइयों से निकलने वाले कचरे को फिर से उपयोग में लाने लायक बनाने की कोशिश करनी होगी और प्राथमिकता के आधार पर पेड़ों की कटाई रोकनी होगी और जंगलों के संरक्षण पर बल देना होगा।

अक्षय ऊर्जा के उपायों पर ध्यान देना होगा यानि अगर कोयले से बनने वाली बिजली के बदले पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा और पनबिजली पर ध्यान दिया जाए तो वातावरण को गर्म करने वाली गैसों पर नियंत्रण पाया जा सकता है तथा साथ ही जंगलों में आग लगने पर रोक लगानी होगी।

ऊर्जा उत्पादन व उपयोग में सुधार करना।. कार्बनिक ईंधन का प्रयोग कम करके उसके स्थान पर हाइड्रोजन ईंधन का प्रयोग किया जाए। कार्बन मुक्त ऊर्जा स्रोत जैसे सूर्य, वायु एवं नाभिकीय ऊर्जा का विकास किया जाए। वन क्षेत्र को कटने से रोकना एवं वनावरण में वृद्धि का प्रयास करना।

निष्कर्ष । Conclusion

आज के समय में हम जैसे युवाओं को प्रदूषण को नियंत्रण करने हेतु सर्कार द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रमों में हिस्सा लेना चाहिए और उन्हें प्रदूषण को नियंत्रण करने के विषय को जागरूकता फैलाना चाहिए l पुर विश्व में अस्त्र – शस्त्र का दौर है l इस तरह की गतिविधियों को प्रतिबंधित करना होगा तभी हम प्रदूषणरहित विश्व की कल्पना कर सकते है l

आशा करते है आपको Global Warming in Hindi पढ़ कर अच्छा लगा होगा l

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